कमाई इतनी है नहीं, फिर भी दिया समय पे कर,
देश की विकास में, सहयोग मेरा यह कर,
आशा लिए विकास, देश उत्थान स्वप्नसंजोये,
बिना कोई डर, दिया समय पे मेरा कर,
विकास खोजने निकला मैं, अपनी स्वप्न संजोये,
ग़रीबीमजबूरीदेख, रुकगयासड़कपेखोय,
सर नीची मेरा , लिए आँख में नमी,
सड़कों को निहार रहा, विकास के पथ पे,
सड़कों में अभी काफ़ी गड्ढे, विकास की कमी,
ज़िंदगी सर्कस बन बैठा, इन गड्ढों के समीप,
क्या ये इच्छा शक्तिकीदूरी, याविकासकीमजबूरी,
जो पथ भटक लक्ष्य को भूल, विकास हुई ना पूरी,
पूछो इन पालक से, क्या थी इनकी मजबूरी,
जो विकास किया ना पूरी, जो विकास किया ना पूरी.
कुणाल कुमार