इश्क़ है ज़रूरी? इसके बिना जीवन क्या पूरी?
क्या ये है मजबूरी? या कहे ये दिलो कि दूरी,
इश्क़ क्या मिलन की चाह? या दर्द भरी जीवन मेरी,
क्या ये जीने की मजबूरी? या कोई चाह रह गई अधूरी,
सच्ची इश्क़ रहे सदा अधूरी, मीठा मधुर मिलन की चाह,
दिल संजोए विरह की आग, अश्रु आँखों से बहे अनवरत,
इस दर्द का महसूस अनुपम, रहे सदा हृदय समीप,
मजबूरी नहीं बाटने का, अप्रतिम ये एहसास है ये मेरी,
इश्क़ की तान अनोखा, जैसे हो कर्णप्रिय मधुर संगीत,
जीवन उज्ज्वल कर दे ये, जीने की चाह भर मेरे राह,
मिलन नहीं प्यार की मजबूरी, इसके बिना भी प्यार है पूरी,
इश्क़ भरा ये मधुर एहसास, है ये मेरी जीवन चक्र की धुरी.
कुणाल कुमार