दिल के क्षितिज पे, जब दुःख बादल बन गहराए ,
विरह कि बिजली कड़क, नयन से अश्रु बरस जाए,
अश्रु का तू मोल समझ, मोती की चमक होती फीकी,
इसकी माला बना मैं, मेरे भगवान को करूँ सदा अर्पित,
तेरी यादों को मैं भूला सकूँ, अश्रु धार से मिटा सकूँ,
इस अनमोल रतन को मैं, तुम्हारी याद में लूटा सकूँ,
दिल के दर्द को बयान मेरी करती , अश्रु मेरे नयन से बहती,
पुराने सब यादें को धुल, नए सपने को दिया निर्दिष्ट ध्यान,
एक बार तुम और दो अश्रु, ख़ुशी से भर नयन मेरे,
संग आ मिलने हो तैयार, भर दो जीवन में आनंद.
कुणाल कुमार