आग के है रूप अनेक, कभी बुरे कभी नेक,
आग दिल में लगे, तो ये रिश्ते को जलाए,
आग चूल्हे की, जो भूखे को खाना खिलाए,
आग नफ़रत की, अपनों को दूर कर जाए,
आग मिलन की, अपनों को क़रीब ले आए,
आग सर्दी में, जीवन में गरमाहट लेकर आए,
आग गर्मी की, जीवन को झुलसा सा जाए,
आग जंगल की, जीव सारे संकट में आए,
आग जब बोली में, दूसरों को दुःख दे जाए,
आग जब गोली में, दुश्मन को ढेर कर जाए,
आग जीवन की ज़रूरत, आग जीवन की सरमाया,
आग कभी जीवन की ख़ुशी, आग कभी ग़म का साया.
कुणाल कुमार