मिलन की चाह लिए, जी रहा हूँ मैं,
क्या वो दिन आएगा, जब मिल सकेंगे हम,
या मैं था एक झूठ, तेरे जीवन के पथ पे,
भूल मुझे बढ़ आगे, ख़ुश हो तुम खुद पे,
क्या मैं भोला, समझ ना पाया,
ये सब थी, तेरी ही माया,
पर तेरी याद ने, मुझे इतना सताया,
समझ ना पाया, कैसे है तेरी माया,
अब क़ैद है ये जीवन, बस तेरे ही प्यार के संग,
एक क़ैदी बन जी रहा, तेरे मिलन के आस संग.
कुणाल कुमार