सफ़ेद चादर में लिपटी, देखो इस जनाज़े को,
सजने को चली ये, किसी के ख़्वाबों की चिता,
कभी किसी रिश्ते में थी बंधी, उसे पीछे छोड़,
रिश्ते की डोर तोड़, सजी मेरे सपनों की चिता,
मंद मंद मुस्कुरा कर, छोड़ मुझे अपने हाल पर,
रिश्ते की जनाज़े लिए, जी रहा मैं अपने गली,
रिश्ता जो थोड़ा सा तंग था, दिल में बहुत उमंग था,
सोचा जी लू अपनी ख़ुशी, पर मिला चिता की अग्नि,
क्यों जी रहा मैं , प्यार की कसक लिए,
क्यों ना सजा लू, चिता अपने प्यार की.
कुणाल कुमार