एक खोजी बन निकल चला, खोजूँ वो बीते पल,
नयी ऊँचाई छूने की, मेरी जीवन की हो अभिलाषा,
खोज एक हमसफ़र की, जिसकी सच्चाई लगे अपना सा,
वो अपना बना मुझे, दे मुझे मेरे जीवन की सारी ख़ुशी,
मेरी खोज मेरे प्यार की, तेरी नफ़रत के द्वार से,
मेरी खोज अब तेरी ख़ुशी, मेरे दिल है तेरे हवाले,
थोड़ा प्यार थोड़ी ख़ुशी, खोज रहा शकुन भरी ज़िंदगी,
जहाँ मेरी बन रहोगी तुम, मेरे हर ख़ुशी की बन हमसफ़र.
कुणाल कुमार