यू खिलौना क्यों समझ, मुझे तोड़ गयी,
अपनी छाप दिल में लिख, मुझे छोड़ गयी.
इक नन्हा सा बच्चा, है ये दिल मेरा,
टूटा खिलौना देख, मेरा दिल रोने लगा,
समझ छोटे बच्चे का, थामे चाहत की डोर,
कट गयी प्यार की पतंग, बैठा दिल बच्चे का,
काग़ज़ की कश्ती बना, चला नई सफ़र पे,
अनजाना सा डर लिए, मैं जी रहा अकेला.
कुणाल कुमार