क्या जीवन की मस्ती, है इतनी सस्ती,
हवा के इक झोके, इसे तोड़ कर जाए,
मायूस सा मैं, देख अकेला खड़ा हूँ यहाँ,
मस्ती तो दूर, मेरी ख़ुशी भी साथ ना निभाए,
जितनी तेरी दूरी, तेरा एहसास दे मेरा साथ,
देखो मेरी मस्ती, मजबूर है तनहा जीने को,
क्या ख़ुशी क्या ग़म, देख अब ना रूकेंगे हम,
खामोशी भरे जीवन में, लिखूँ इक नया इतिहास.
कुणाल कुमार