इस जीवन की राह में, मैं जी रहा था अकेला,
इंतज़ार लिए मन में, अपनी अंतिम विदाई का,
फिर मुलाक़ात हुई जो तुमसे, भूल बैठा खुद को,
मेरे समझ को लगा ग्रहण, चाह बैठा जो तुझको,
तेरी हंशी ने दिखाई, मेरे जीवन के वो रंग,
जिसे भूल बैठा था, अपने जीवन में जो मैंने,
समझ नहीं आता मुझे, क्यों तुझे चाहा मेरे दिल ने,
क्योंकि ये मालूम था मुझे, तुम किसी और की हो.
कुणाल कुमार
Bahoot Khub..
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धन्यवाद
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