नहीं और ना मेरे दो वो प्यारे साथी,
साथ निभाने में हैं ये दोनो बड़े महारथी,
जब कुछ चाहा मैंने, ना से मिली ना मुझे,
हंशने की इजाज़त भी नहीं, नहीं ने दी मुझे,
दिल से रो रहा, अब अश्रु निकलने की ना ने ना दी इजाज़त,
अपने दर्द बयान नहीं कर सकता, नहीं ने दी इजाज़त नहीं,
दोनो मेरे साथी बनकर, खूब साथ निभाते रहे,
नहीं और ना मेरे जीवन को, नाकाम बना बैठें.
कुणाल कुमार