भूलना इतना आसान होता है क्या? कोई सीखे ये तुमसे,
खुद को सही समझ चली तुम, हम जो ग़लत थे तुम्हारे लिए,
भूलना आसान होता अगर, काश हम भी सिख लेते ये तुमसे,
तुम्हें भूल अपने जीवन में, नयी सवेरा को क्यों ना ढूँढ लेते,
कोशिश ज़रूर की हमने भी बहुत, तुम्हें भूल जी सकने की,
पर क्या सूरज भूल सकता है, उदय होना है उसका कार्य,
अगर सक्ती होती मुझमें, तुम्हारे जैसा बन सकता काश,
ना देता कभी तुम्हें मैं, अपनी जीवन के खुशी का हक्क,
भूल मैं जता तुझे, अगर तुम होती सिर्फ़ मेरी मस्ती का सबब,
पर क्या करूँ मैं, प्यार कर भूलना मेरी फिदरत मेन जो नहीं.
कुणाल कुमार