चेहरे पे हो हंशी, लिए मन में थोड़ी सी खुशी,
ओ मेरे जीवन तुझसे, क्या मैं नाराज़ था कभी,
तेरी तारिफ़ क्या करूँ, मुझे मुझसे क्या खूब जुदा की,
खुद पे क्या यक़ीन ना थी, या थी मुझमें ही कोई कमी,
तेरी सोच को सलाम मेरी, पर मेरी सोच से देखो दुनिया कभी,
कौन हैं सच्चा कौन हैं झूठा, सब जान पाओगी तुम तभी,
मेरी हंशी ही मेरी ज़िंदगी, हर मुश्कान हैं मेरी साँस,
अभी खुद पे हँसता हूँ, जब तक हैं मेरे अंदर जान.
कुणाल कुमार