दिल में लिए आपाध का बोध, जीने को हूँ मजबूर,
अपनी सजा के लिए, इंतज़ार क्यों मैं करूँ हो अधीर,
शायद मेरी मुलाक़ात, ना होगी कभी तुझसे,
तेरा सामना करने की हिम्मत, नहीं हैं मुझमें,
खुद के नज़र से नज़र, ना मिला पा रहा हूँ मैं,
आइने में खुद को देख, खुद से घृणा हो रही मुझे,
मेरी प्राथना स्वीकार करो प्रभु, अगर किया कभी नेक कर्म,
अपने चरणो में थोड़ी सी जगह दे दो, हर प्राण अब मेरे.
कुणाल कुमार
😞
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