कभी कभी दिल की कही सुनता जा मुसाफ़िर,
ज़िंदगी दिल से जी, तू देख सपनो की मंजिल,
कभी कभी खुद से, बन जा मेरी चाहत की मंजिल,
आ तुझे दिखाऊ मेरे दिल में, तस्वीर है सिर्फ़ तेरी,
कभी कभी देख जरा, तेरी चाहत हैं या ज़रूरत बड़ी,
मेरे दिल के आइने से, देख तू तस्वीर अपने दिल की,
कभी कभी अपनी सोच को, मेरी चाहत की चश्मे से देखो,
ज़िंदगी की ख़ूबशूरती तुझे दिखे, उदासी ना पास आ सके.
कुणाल कुमार