कोरा काग़ज़ सा हैं, मेरी ज़िंदगी के हर लम्हे,
तन्हाई की दर्द समेटे, क्या लिखू इस दिल पे,
ख़ुशी के वो लम्हे, सोचा था लिखू इस दिल पे,
ग़म के निहरनी ने, वो ख़ुशी मिटा दिया दिल से,
क्या यादों की ख़ुशियाँ, लिख सकता अपने दिल पे,
पर मेरे वादे ने कहा मुझसे, ना याद कर सकता मैं तुझे,
क्या सही हैं क्या ग़लत, नहीं पता हैं ये मुझे अभी,
पर इतना जानू मैं, जीवन कोरा काग़ज़ हैं तेरे बिन.
कुणाल कुमार
खूबसूरत रचना
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धन्यवाद
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Lovely.please ,try to write in pure Hindi-कोड़ा नहीं कोरा/बीन नही बिन।सही है।इतनी सुन्दर भावनाऐं गलत मात्राऐं सुन्दरता बिगाड़ देती हैं।
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Thanks … typing hindi is tough, but feedback taken positively and will correct in future posts
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Okay.most welcome,🌷
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