दिखा आज मुझे रास्ते का फ़क़ीर, चल रहा वो निर्भीक,
चेहरे पे मुस्कान लिए, ना कुछ खोने का ग़म उसके दिल,
कपड़े थे मैले तन पर, बदन लिए बदहाली समेटे,
खाने को मोहताज, मगर विचर थे उसके उज्ज्वल,
क्या थी उसकी पीरा, था क्या उसका ग़म,
ना समझ सका मैं नादान, पर मिली सिख जीवन की,
हर ग़म या हर पीरा, हस कर जीना हैं अभी,
ज़िंदगी का अनमोल सीख, देखो दे गया फ़क़ीर,
ज़िंदगी की उठा पटक में, उलझा सा मेरा मेरा जीवन,
देख फ़क़ीर समझ सका, जीवन जीने का क्या हैं महत्व.
कुणाल कुमार