वो दोस्ती क्या, जिसमें विश्वास ना हों,
टूट जाए रिश्ते, इक छोटी सी इल्ज़ाम पे,
बातें को दिल में छिपाया, देखो दोस्त नहीं करते,
दोस्तों की भावनाओं को, सदा अहमियत दिया करते,
अगर थी कोई परेशानी, याद ना आयी क्या दोस्ती हमारी,
हम तो थे सुलझे हुए दोस्त, ना कोई कभी हम करते नादानी,
रिश्ते की गहराई, क्या दोस्त ना समझ पाए,
अच्छा होता हम, कभी कोई दोस्त ना पाते.
कुणाल कुमार
One thought on “दोस्त”