देखो दूर खरा मैं, तेरी यादों से भरी समुंदर में,
चाहत की कस्ती पे, डुंदे मन तेरे प्यार का किनारा,
क्या हुआ जो जी रहा, मैं भटका हुआ अपना मन लिए,
आस हैं उस दिन की, जब तेरे दिल में मेरे लिए प्यार जगे,
वो दिन कब आएगा, जब समझ सकोगी तुम मुझे,
लोगों का सोचना छोड़, अपना लोगी तुम मुझे मन से,
लोगों का क्या हैं, ना भाती उन्हें किसिकी ख़ुशी,
ताने हज़ार देंगे, पर ना दे सकते लौटा तेरी ज़िंदगी.
अकेला मन जी सकती हो, बिना अपने लिए दिल ख़ुशी,
पर जी लो तुम अपनी ख़ुशी, बनकर तुम मेरी प्ज़िंदगी.
कुणाल कुमार
ढूंढे मन तेरे प्यार का किनारा…..nice.
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धन्यवाद
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