फिर लौट आयी मेरी ख़ुशी, मेरे जीवन जीने का मक़सद,
भूल वो ग़म पुरानी, अब मिटा ज़ख्मों का निशान दिल से,
ये जो पायी जीने का अर्थ, छीन लायी मेरी ख़ुशी खुद से,
ये हैं मेरा जीवन कर्तव्य, खुद की ख़ुशी लिखी मैंने खुद से,
जीवन का हर ग़म पीछे छूठा, मिली मेरे भाग्य की ख़ुशी,
वो साथ निभाने को जीवन, बन गयी मेरी जीवन संगिनी,
मुझे मिली मेरी परछाई, ना साथ कभी छोड़े मेरा,
ख़ुशी हो या ग़म, वो साथ निभाए हरदम बन हमदम.
कुणाल कुमार
(अपने प्रिये मित्र विक्रांत के नाम)
– Vikrant Wish you a very happy married life.
Wonderful.
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धन्यवाद
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