चैन कहाँ हैं जीवन में, आराम बड़ी हैं यहाँ पर मुश्किल,
भाग दौर भरी मेरी जीवन, चैन की हैं ज़रा थोड़ी सी कमी,
नयन खुलने से बन्द होने तक, नयन खोजे मेरी ख़ुशी,
बेचैन सा ये मेरा मन, खोजे चैन भरी सिर्फ़ दो घड़ी,
बैठ संग बातें करूँ उससे, जो समझे थोड़ा मुझे,
पर ऐसा मेरा नसीब कहा, फँस गया कर्तव्य भँवर में,
शायद मैं भूल गया, कर्तव्य लक्ष्य ही हैं मेरी जीवन गती,
अपनों की सिर्फ़ यादें अछी, उन्हें खोना ही हैं तेरी नियति,
कर्तव्य की अपनी माँग, ना दे ये कभी समय मुझे,
कर्तव्य माँगे मुझसे मेरी ख़ुशी, जो जीवन की जान हैं मेरी,
जीवन कर्तव्य करता चला जा तूँ, भूल जा अपनों का साथ,
इस चक्रवियूह से ना थक, कर्म करता यू चला जा छोड़ इस ज़िंदगी.
के.के.