छोटे सहर का मैं छोरा, छोटी सी है चाहत मेरी,
मेरी समझ भी हैं छोटी, पर नियत नहीं हैं मेरी खोटी,
छोटा सा हैं सपना मेरा, छोटी सी हैं चाहत मेरी,
छोटा सा घर हो मेरा, मेरे घर की तुम बनो परी,
सुबह मैं तुम्हें जगाऊँ, लिए हाथ चाय की प्याली,
साथ बैठ हम देखे, खबरें इस दुनिया की ढेर सारी,
सुबह का नाश्ता मैं बनाऊँ, तुम्हें अपने हाथोंसे खिलाऊँ,
दिन का डब्बा बाँध कर, साथ चले हम अपने दफ़्तर,
दिन को साथ खाना खाए, करे बातें ढेर सारी,
लौट तुझे साथ लिए, अपने छोटी सी दुनिया में,
तुम अपनी थकान मिटाओ, मैं साथ करूँ ढेर बातें,
रात्रि भोजन बना, तुम्हें खिलाऊँ मैं खुद से,
अछा सपना लगा सबको, पर ये हक़ीक़त हैं मेरे दिल की,
काश हक़ीक़त में मेरा दिन हो, जब साथ मिलो तुम हो मेरी बन.
के.के.
Wow, what a beautiful expression!👌👌
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धन्यवाद 🙏
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