जीवन सच्चाई से जीना, सादगी दिल लिए,
झूठ वो भी अच्छी लगे, जो सच्चाई से जिए,
तू दो घुट ग़म का पी, नशा बिरह का ले तू जी,
मोहब्बत का जाम बना, प्यार तू पी हर घुट में,
अगर कदम तेरे डगमगा गए, याद कर अपना इश्क़,
कमबख़्त दबा भी इश्क़, इस बिरह भरी महफ़िल में,
मैं चूम लू उस पैमाने को, जिसमें हैं तेरी अक्स दिखती,
ज़हर प्यार समझ पी लूँ, तेरी इश्क़ से भरी मयखाने में,
लोग कहते है नशा, बर्बादी का दूसरा हैं नाम,
हम तो बर्बाद हुए, मोहब्बत जो तुमसे कर ली.
के.के.