किसी को मिले हर ख़ुशी,
कोई तरसे पाने को ख़ुशी,
कैसी है ये अजब दास्तान,
क्यों तक़दीर हैं मेरा सोया,
क्या मुझमें है कोई कमी,
या दर्द ही हैं मेरी ज़िंदगी,
ख़्वाब में हो तुम हर घड़ी,
पर ना बन पाई तुम जो मेरी,
कोई ग़म नहीं हैं मुझमें अब बची,
ग़म में जीने की आदत सी हो गयी,
तुझे हक्क हैं खोजने की अपनी ख़ुशी,
तू जी लेगी अब सिर्फ़ याद में मेरी,
खोने का है ये मेरा नसीब,
ना बना पाया अपना कभी,
अब सर लगता मुझे मुझसे,
क्योंकि पाना नहीं है मेरा नसीब,
के.के.
Beautiful heart touching poem sir
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Thanks
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👌👌👌👌
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धन्यवाद
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Beautiful
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धन्यवाद
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