तेरी इक झलक पाने को, बेक़रार ये दिल मेरा,
देखने पर इक झलक, नहीं भरता ये मन मेरा,
सुबह उठ तुझे याद करूँ, तेरा ही चेहरा देखूँ हर दर्पण,
क्योंकि बसी हो तुम मुझमें, क्योंकि मेरा प्यार का नहीं कोई अंत,
देख ये हैं मेरी मजबूरी, नहीं हैं मुझे इसका कोई ग़म,
प्यार करने की चीज़ नहीं, हो जाता हैं जब अपने हो संग,
सुबह शाम सन भूल गया मैं, खोया रहता सिर्फ़ खुद में,
क्योंकि तुम बसी हो मेरे जीवन, मेरे दिल में हो सिर्फ़ तुम,
प्यार किसे कहते हैं, ये पूछो अपने बेचारे दिल से तुम,
पाना ही प्यार नही, तेरी ख़ुशी में ही बसा हैं मेरा प्यार.
के.के.