कैसा ये मोहब्बत हैं मेरी, जो अपने दिल का हाल मुझसे इजहार ना करे,
चुपके से प्यार भी करे, पर अपने दिल ए हाल बयान ना करे मुझे कभी,
भगवन ने दी चाहत दिल मेरे, पर छीन ली दिल को समझने की वो शक्ति,
नहीं समझ सकता मैं कभी उसे, क्योंकि प्यार छिपा रखा उसने दिल में,
शायद है कुछ दोष मुझमें, या हैं मुझमें हैं कुछ कमी,
ना समझने की ठान ली उसने, करना हैं उसे अपने मन की,
क्या इसी उधेर बुन में, कट जाएगी ये बेचारी ज़िंदगी,
हाल ए दिल उनका जाने बग़ैर, ना गुजर जाए मेरी ज़िंदगी.
के.के.