खुद को भूला कर जीने की कोशिश मैंने शुरू कर ली
खुद को भूलने का कष्ट सहने की ज़रूरत मैंने कर ली,
सच्चाई को झुठलाना क्या यही तक़दीर मेरी,
सच्चाई तो यही हैं नहीं पहचाना मेरे प्यार को तुमने कभी,
शायद ये तक़दीर मेरी कहती हैं रहो हँशी ख़ुशी,
मेरे प्यार की परिपूर्णता शायद लिखी भूलने में तुझे,
शायद दर्द होगा मुझे हर घड़ी,
पर हँशने से नहीं मिलेगी मेरे दिल को ख़ुशी,
मैं नहीं मज़बूत इतना दिल से,
टूट गया हैं ये मेरा बेचारा दिल,
चला था खोजने अपनी ख़ुशी,
भूल गया जीने का मतलब,
अब मैंने ये ठान ली दिल से,
अगर नहीं तेरी ख़ुशी मुझमें,
अकेला रह लूँगा मैं खुद में,
गला घोट कर अपनी ख़ुशी,
के.के.
Somehow reminded of a beautiful old hindi movie song:
जा मैं तनहा रहू तुझ को महफ़िल मिले
डूबने दे मुझे, तुझ को साहिल मिले
आज मर्ज़ी यही, आज मर्ज़ी यही,
नाखूदा हैं मेरी खुश रही तू सदा,
ये दुवा हैं मेरी खुश रही
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May be this song must be back of my mind not sure … but I always try to keep originality in expressing my emotions..
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Please dont get me wrong, I did not mean to say that your is not original. You seem to write from heart.
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No I left thinking wrong and always keep myself happy.. few lines from last kavita Bawra man as below:
अच्छा लगा तेरा ये तोहफ़ा, जो बदल दिया तुमने मुझे,
मेरे ज़िंदगी की उदासीनता में बड़े शालीनता से ख़ुशी भर दी,
मेरे मन की करवाहट में अपनी मधुरता घोल दी तुमने,
मेरे वीरान ज़िंदगी को ख़ुशहाली का मार्ग दिखा गयी तुमने,
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😁😊👍👏😇🙂
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