यों क्रोध आ रहा है मुझे,
क्यों नफ़रत सा हो गया जीने से,
मन उदास ना लगे कही,
अकेला था तन से अकेला हो गया मन से,
सबने साथ छोड़ दिया,
बन गए हो पराए,
देखो आशु भी मेरा साथ छोड़,
मेरे दर्द को किया पराया,
अकेला खड़ा सड़क पर,
दर्द के दरिया में डूब रहा ये दिल,
ना कोई पहले बचाया,
ना कोई अभी बचाएगा मुझे,
तनहा जीवन लगे पहाड़,
ना पार कर सकता इसे,
साथ निभाने वाले पीछे छूटे,
रह गया ये अकेला मन,
क्या गलती थी मेरी,
जो कोई समझ ना पाया मुझे,
मेरे भावना का मज़ाक़ बना,
ना कोई अपनाया मुझे दिल से,
छोड़ो भी ये गम्भीर बातें,
ना समझ सकता कोई इसे,
डूब रहा मेरा दिल,
टूट कर बिखर सा गया,
मेरी क्रोध क्यों इतनी प्रबल,
क्यों ना रोक कभी पाया इसे,
सारे अपने छोड़ चले मुझे,
मेरे इस क्रोध के चलते,
शायद मेरे जीवन का अंत लिखा,
मेरे क्रोध के शब्द से,
भविष्य दिख रहा मुझे,
मेरा अंत हैं मेरे क्रोध में,
मेरे मित्रों आप समझ लो,
कभी क्रोध ना लाओ दिल में,
प्यार से संसार सुंदर,
क्रोध से बने जीवन उजाड़,
मेरा अब ना कोई अपना हैं,
जो मेरा बन साथ निभाए,
मेरे क्रोध को शांत करे,
मुझे अपनी उँगली पकड़ जीना सिखाए.
के.के.