भूख लगी हैं ज़ोरों की,
मेरा पेट करे आवाज़,
भर पेट खाने का मन,
पर साथ ना कोई मेरे पास,
अकेला कुछ खाने की,
आदत नहीं थी मुझे कभी,
साथ निभाने वाले चले गए,
भूखा छोड़ कर मेरा मन,
मेरी भूख और बेचैनी,
अकेलेपन का सुना अहसास,
मेरी ख़ुशनुमा जीवन को,
अंधकार से भर दी,
कौन है ज़िम्मेदार यहाँ,
मेरे तन्हाई भरे इस पल का,
मेरी ये भूख और बेचैनी का दर्द,
शायद हैं मेरी अपनी क्रोध.
के.के.
Very nice
LikeLiked by 1 person
Thanks
LikeLiked by 1 person