अनजान सा हूँ मैं अपने ख़ुशी के लिए,
डूबा डूबा सा रहता हूँ ग़म में तेरे जाने से,
आँखे नाम सा हुआ दिल में दर्द हैं छाई,
मेरी अहसास मेरी पहचान बन गयी दर्द की,
तेरी हर छोटी सी ख़ुशी हैं बनी मेरी पहचान,
लब पे फीकी सी मुस्कान बस तेरे ख़ुशी के लिए,
अनजान सा हूँ मैं रहूँ अनजान अब तेरे लिए,
तूँ ख़ुश रहे अपने दिल से हो मुझे भूलकर,
शायद मेरी पहचान बनना ना गवारा है तुम्हें,
अपनी पहचान मुझे देकर यूँ क्यों चली तुम.
के.के.