छोड़ो उसे जो ना करती हो तुमसे प्यार,
आगे बढ़ जाओ तुम भी छोड़ कर उसका साथ,
पर क्या करूँ इस बेचारे दिल का अब मैं,
जो हर हाल में प्यार तुम्हीं से करता है,
ना जाने कब बन गयी हो तुम मेरी पहचान,
धीरे धीरे तुम बन गयी हो मेरी जान,
अब चाहती हो मय तुम्हें भूल जाऊँ,
क्या जान बग़ैर ये ज़िंदगी जी पाएगा?
चलो मन ली तेरी ये बातें,
ना बोलूँगा तुझे, हैं कितना प्यार तुमसे,
मेरी चुप्पी से अगर मिलेगी ख़ुशी तुम्हें,
मैं रह लूँगा अकेला बनकर तुमसे अनजान.
के.के.