इक आधा खिलौना टूटे,
तो क्यों रुककर शोक मनाए हम,
बस बढ़ चले हम अपने धुन में,
सुख दुःख को हृदय से लगाकर हम,
खिलौना छूटा साथ छूटी हो गए हम समझदार,
अब नहीं रोएँगे दिल से टूटे हम खिलौने के लिए,
क्या खिलौने को दिल होता हैं,
जो समझ सके मेरे दिल का दर्द,
छोड़ो बेकार की बातें जीवन ना करे हम व्यर्थ,
क्यों तोड़े दिल अपना टूटे खिलौने के लिए हम,
बन समझदार आगे बढ़ चले हम,
खिलौना में नहीं भावना हम व्यर्थ क्यों रोए,
पर क्या जीवन की सच्चाई समझ सकता मेरा दिल,
टूट गया ये दिल बनकर टुकड़े हज़ार,
तेरे यूँ चले जाने से हैं बेक़रार मेरा दिल,
पर क्या करूँ किस हक्क से मैं रोक लूँ तुझे,
तुझे चाहने का हक्क नहीं दिया तुमने मुझे,
ना पुकार सकता तुझे तेरे चले जाने के बाद,
बस इक बार मुड़ का तू ज़रा सा देख मुझे,
बिलखता बालक सा सहमा मैं लिया टूटा दिल अपना.
के.के.