तुम्हारे नयन क़ातिलाना घायल कर दे मुझे,
उफ़्फ़ तेरी ये अन्दाज़ मुझे जीने नहीं दे कभी,
पहले बनी जान मेरी अब ना लो जान तुम,
भर दो ख़ुशी मेरे जीवन में बस साथ चलो तुम,
कहने को तो काफ़ी हैं पर तेरी चुप्पी सब कहती है,
सोच मेरा तुम्हें छोड़ कर नहीं जी सकता अपनी ख़ुशी,
चलो अब तुम मान भी जाओ लिखते हैं हम अपनी ख़ुशी,
मिलकर साथ हम दे अपने ज़िंदगी को इक नई पहचान,
तेरी भोली सी सूरत तेरे ये उलझे से बाल,
फँस सा गया हूँ मैं तेरे इन ज़ुल्फ़ों में यूँ,
अब तो इंतज़ार हैं देखने को तेरी चेहरे की ख़ुशी,
चलो हम मिलकर बनाते हैं इक नई ज़िंदगी.
के.के.