या मेरी चाहत पे यक़ीन नही तेरे दिल को,
कच्चा धागा समान तोड़ चली इस दिल को,
शायद मालूम नही ये बात तुम्हारे इस दिल को,
तेरी चाहत मेरे लिए किसी दीवानगी से कम नही,
शायद लोग जताते होंगे अपना प्यार तुमसे,
तुझको शायद अच्छी लगती होगी बात उनकी,
पर कोई भी खुद से ज़्यादा क्या चाहा हैं तुमको,
साँसें लेना भी छोड़ दे अगर चाहो तुम दिल से,
ये मेरी चाहत ही हैं बस मेरी छोटी सी उम्मीद,
क्योंकि जीने का मक़सद जो तेरे नाम कर दी,
साँसें लेता हूँ मैं पर जीता हूँ सिर्फ़ तेरे लिए,
मेरी प्यार तेरे लिए बन गयी है मेरी पागलपन,
क्या दिखता नही मेरी ये दीवानगी तुझको,
या देख कर अनदेखा कर रही हो तुम मुझको,
शायद तुम भगवान की लीला ना समझ सकी,
मिलाया उन्होंने मुझे बनकर वो तेरी हर ख़ुशी.
के.के.
Good effort.
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Thanks
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