अपने उदासी को तुम दिल में ही रहने दो,
बाहर से दिखो जी रहे हो खुशी से अपनी ज़िंदगी,
क्योंकि उदासी ना समझ सके यहाँ कोई,
रहोगी ख़ुश तो मिलेगी तुम्हें तुम्हारी ख़ुशी,
क्या दुखी रहना हैं तुम्हारी कोई मजबूरी,
या भूल सुधार कर जी लो अपनी ज़िंदगी,
सोच के चश्मे को ज़रा साफ़ करके देखो,
ग़म के आगे तुम्हें दिखेगी तुम्हारी ख़ुशी,
क्या याद में जीना है कोई ज़िंदगी,
या साथ में जीना है तुझे हँसी ख़ुशी,
यादों के बगीचे लगते है बड़े सुंदर,
पर क्या हक़ीक़त से मुँह मोड़ना है ज़िंदगी.
के.के.