वाह ये मेरी क़िस्मत, क्यों लम्बी है मेरी जुदाई,
मुझे समझने में, इतना समय तुमने क्यों लगाई,
समय जो निकल जाए, भूल जाते हैं सभी लोग,
शायद यही सोच कर, मुझे भूलने पर तुम आई,
भूल गयी तुम मेरे इस प्यार की गहराई, क्यों मुझे रुलाई,
पाने को कुछ बचा नहीं, अब खो नहीं सकता मैं तुझे कभी,
करवा लो इंतज़ार तुम, कर लो अपनी मर्ज़ी का,
क्या पता ईश्वर भी, ले रहा मेरे धैर्य का परीक्षा,
इक बार तुम्हें देखने को, मचल रहा है ये मन,
पर कैसे देखूँ तुझे, इंतज़ार जो लिखी मेरे तक़दीर.
के.के.