ना समझ पाएगा कोई मेरे अंदर की चित वृति,
अरे उसको क्या पता जिसे मालूम नहीं मेरी मनःस्थिति,
जो सोचे दिल हर घड़ी, जो पास हो दिल के इतने क़रीब,
उसे अपने दिल का हाल ना समझा पा सका ये हैं मेरा नसीब,
कहने को सब कुछ हैं, ख़ुशहाल दिखे मेरा जीवन,
अंदर का दर्द बदल रहा मुझे, बना मेरी भावनाओं को सर्द,
मेरी उलझन अजीब हैं शायद ना कोई मुझे समझा सके,
पास होकर भी मेरी ख़ुशी, मुझे पास नहीं दिखे मेरी ख़ुशी,
जैसे भूखे को खाना दिखे पर खा ना सके बेचारा वो,
वैसे पास होकर मेरी जान दूर कहीं है अपने सोच के संग,
मैं प्यार कर सकता हूँ पर सोच बदलने की ताक़त नही मुझमें,
अब तो सोचना ही बचा मेरे पास, खोजना भूल किधर हुई.
के.के.
Beautiful lines written
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Thanks
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