करो ना करो ना तुम मुझसे प्यार करो ना,
भूल जाओ खुद को तुम पास आ जाओ मेरे,
लौटा दो तुम मेरी ख़ुशी आकर तुम मेरे क़रीब,
मैं भी भूल जाऊँगा खुद को बाँहों में खोकर तेरे,
ये ख़ूबसूरती मेरे सोच को क्यों करे कुंठित,
चाहत की चिंगारी क्यों भड़की हैं मेरे दिल में,
क्यों मेरे हर साँस बन गया ग़ुलाम तेरे चाहत का,
अब तो जी रहा तेरे दिए सासों के रहमों करम पर,
शायद तुम ये समझ पाओगी जब सच्चा प्यार होगा तुम्हें,
जब तेरा दिल भी तड़पेगा तन्हाई के भरे आलम में,
उम्र के उस पड़ाव पर शायद तुम्हें प्यार ढूँढोगी तुम,
मुझे पाओगी वही पर जहाँ भूल गयी थी तुम मुझे,
तुम ख़ुश रहो मुझे इंकार कर, जी लो खुद के अहं में,
मुझे पाओगी पास जब चाहत भरे दिल से तुम पुकारो मुझे,
तेरी ही प्रतिबिम्ब हूँ मैं, रहूँगा परछाई बन साथ मैं तेरे,
तेरा हर ग़म मेरा हो, भरे ख़ुशी तेरे दिल में डेढ़ सारे.
के. के