मेरे चरो तरफ़ हैं चहल पहल,
फिर भी दिल क्यों अकेला हैं,
शायद मुझसे कोई खाता हुई,
इसीलिए तन्हाई भरी सजा मिली,
ऐसा तो ना था मैं पहले कभी,
रहता था अपने धुन में मैं मगन,
पर जबसे मैंने दिल लगाया तुमसे,
ना जाने कहा खो गया मेरा चैन,
पर एक बदलाव हुई हैं मुझमें,
भावुकता आ गयी हैं मेरे सिल में,
देखो शायद इसीलिए मेरे प्रभु ने,
मुझे तुमसे मिलाकर इंसान बनाया,
दुनिया देखने की मैंने नज़रिया बदल दी,
दूसरों पर हँसना छोड़ अब हँसाना सिख ली,
खुद भीतर से मर रहा मेरा ये नादान दिल,
पर दूसरों का दर्द मैं बाँट लूँ हँसी ख़ुशी,
आज ये दर्द भरा दिल दे रहा तुम्हें दुआ,
ख़ुश रहो तुम अपनों के साथ सदा,
मेरे तन्हाई जैसा दर्द तुम्हें ना मिले कभी,
क्योंकि तुमने मुझे इंसान जो बनाया हैं,
इस पत्थर दिल को तुमने इंसान बनाया,
दिल में मेरे प्यार का फूल खिलाया,
इस बंजर दिल में अब तो हरियाली हैं छाया,
पर देखो अब मेरे दिल में दर्द घर कर आया.
के.के.