आज रविवार हैं थोड़ा जो समय आज मिला मुझे,
मैंने आपकी तस्वीर को देखा दिल की नज़रों से,
आपकी ख़ूबसूरती तो दिखे बेमिसाल मुझे,
मन करे देखता रहूँ आपको दिल के नज़रों से,
आपके नयन में है अजब सी आकर्षण,
इसे हमेशा देखते रहने का करे मेरा मन,
देखो क़सूर मेरा नहीं हैं आप ये समझ लो,
क़सूर तो आपके इस नशीले नयनों का हैं,
मेरा ये मन करता हैं देखता रहूँ सिर्फ़ आपको,
आपसे बातें कर मैं बाँट लूँ अपने दिल का दर्द,
पर सोचता हूँ क्यों बाँटू मैं आपसे अपना दर्द,
आप तो ख़ुशी के लिए बनी हैं दर्द रहे आपसे दूर,
आपकी हँसी मुझे भा गयी ना जाने क्यों,
शायद आपकी मासूमियत दिल पे छा गयी,
आपके दिल की सुंदरता जो आप सी दिख रही,
वो आपकी हँसी बन आपके अधरों पे लहरा रहीं,
देखो आज आपको देखने के लिए मेरा दिल मचल रहा,
क्या देख सकता आपको मेरा दिल होकर थोड़ा क़रीब,
ये तो अब सिर्फ़ आप बताओ करे क्या मेरा दर्द भरा दिल,
क्या साक्षात दर्शन हो सकता मुझे मेरे ईश्वर से आज.
के. के.
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