सुबह सुबह उठकर सोचा क्या हँसना हैं इतना ज़रूरी,
दिल की ख़ुशी का कोई मोल नहीं सिर्फ़ दिखना चाहिए चेहरे पे हँसी,
क्या ये अच्छा होगा अगर दिल नहीं मेरा सच्चा होगा,
फिर भी चेहरे पे हँसी रखना बन जाए क्यों मेरी मजबूरी,
ऐसी हँसी किस काम की जब शकुन ना हो दिल में,
पागल दिल तो तड़प रहा पाने को अपनी सच्ची ख़ुशी,
कभी कभी तन्हाई का ग़म से भी मिलती है मुझे मेरी ख़ुशी,
क्योंकि तन्हाई उसे ही मिलती जो समझ सकता प्यार की सच्चाई,
शायद मैंने अपनी मेहनत से अपनी ये पहचान बनाई,
इसीलिए झूठ और बनावट मुझे कभी रास ना आयी,
देखो फिर से मैं बह गया अपने सोच के दरिया में,
भूल गया क्या लिखना मुझे अब तो सिर्फ़ प्यार ही हैं मेरे दिल में,
के. के.
Nice👌
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Thanks
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Wlcm😊
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