ए मेरे दिल तुम खुद कों समझा ले ज़रा,
जो तुम्हें नहीं चाहते हैं, बद दुआ ना ले उनकी,
अपनी चाहत को समेट ले तुम दिल में,
आँखों से चाहत को छलकने ना दे,
अपनी चाहत को तुमने बता तो दी मेरे दिल,
अब इस चाहत का कद्र कोई करे या ना करे,
बाद तुम्हें इस चाहत को निभाना हैं हर घड़ी,
चुप रहकर रिश्ते निभाने का रास्ता खोज तुम,
शायद अपनी उलझनों में डूबा है उसका दिल,
या कुछ सोच में डूबा हो, जिसमें ना हैं तेरी तस्वीर,
फिर क्यों रो रहे हो तुम, जो तुम्हें अपना ना समझे,
क्या वो कभी हो सकता है तेरे दिल के क़रीब,
तुम लाख जतन कर लो, या फोड़ लो अपना सर,
उसे तो अपने अच्छे लगते है, जो कभी थे उनके क़रीब,
तुम तो बस एक नाम हो, ना हो उसके किसी काम के,
बस कुछ समय की बात है, वो भूल जाएगी तुम्हें,
उसको अपनी याद में सहेज, बंद कर लो खुद को तुम,
वो तुमसे दूर चली जाएगी, अब तुम मत पीटो अपना सर,
अगर अपना कभी मानती तुम्हें, अपनाती तुम्हें वो ज़रूर,
पर पहली बार तुमसे चूक हुई मेरे दिल, जो खुद को उसे दे डाला,
तुम तो इक बहाना दो उसे, देखो कैसे तुमसे दूर चली जाएगी,
याद करना तो दूर, तेरा नाम भी ना उसके लब पे आएगी,
अपनों में हो मस्त व्यस्त, तेरे याद को वो मिटा देगी भूल,
बस इक तुम्हें भूल समझ, यो भूल आगे बढ़ चली जाएगी.
के. के.