नाराज़ दिल ढूँढे तुम्हें, सजा ख़्वाबों की जहां,
कहने को बातें बहुत, दिल तोड़ने की दूँ सजा,
गलती सारी थी मेरी, जो मैंने खुद पे किया भरोसा,
भरोसा तोड़ कर, मुझे छोड़ जाने की है तेरी ये अदा,
ख़ुदगर्ज़ सा होकर, खुद को क्यों अलग किया मुझसे,
क्या कभी सोचा, कितना दर्द मिला मुझे तेरे दूर जाने से,
मेरा घड़ी की आज भी, वक्त का काँटा रुक सा गया,
हर घड़ी समय को देखूँ, नयन में लिए तेरी तस्वीर लिए,
आस मिलन की दिल में सजा, जीने की सजा मिली मुझे,
ना है कोई ख़ुशी ना कोई ग़म, ये है मेरा वीरान सा जीवन.
कुणाल कुमार