ये गुज़र जाएगा मुश्किल भरा वक्त,
खुद को मैं सम्भाल लूँगा खुद में रहकर,
पर इस कठिन वक्त ने हमें क्या खूब दिखाया,
यहाँ कौन हैं अपना और कौन हैं पराया,
क्यों खुद का सभी सोचते हैं यहाँ ,
इतनी ख़ुदगर्ज़ी क्यों हैं सब में भरा,
कैसे और क्यों भूल जाते है हम उनको,
जिनके साथ हम खुलकर हँसा करते थे,
इतनी भी तकलीफ़ क्या हैं जो खुद को काट लिया मुझसे,
शायद आपका हैं ये नया तरीक़ा खुद को ख़ुदगर्ज़ बनाने का,
अगर साथ मेरा कोई मजबूरी था आपका चलो हम भूल जाते,
मैं भी थोड़ा ख़ुदगर्ज़ बन अब खुद के लिए ढूँढ लूँ नयी ख़ुशियाँ .
के.के.