आज के ये नेता, खुद को समझते है अभिनेता,
बुनियादो मुद्दे से दूर, राज करे वो हो अलबेला,
जनता को भटका मत, इन्हें पता है सब कुछ,
एक दिन ऐसा आएगा, तेरा राज पाठ होगा लूट,
जनता अभी ठंडा, है अपने क़िस्मत पर शर्मिन्दा,
ढूँडे अपनी क़िस्मत, रहने को वो मजबूर ज़िंदा,
बुनियादी सुविधा नहीं, भूक मिटाने रोटी नहीं,
तन ढकने को कपड़ा नहीं, जीते है वो अकेला,
पर वो दिन दूर नहीं, जब होगी जनता की बेला,
एकजुट हो निकल पड़े, माँगे अपने जीने का हक्क,
अब आए जनता की अयन, डर तुम आज के नेता,
तुमसे सब छिन, तुम हो जाएगा मजबूर अकेला.
के.के.
Very true
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