पता नहीं क्यों? आज वो उदास थी,
जीवन से निरास थीं,
चेहरे पे गहरी मायूसी थीं छाई,
आँखों से अश्रु निकल आइ।
उसकी मुश्कान कही गुम सी गयी,
चेहरे पे दर्द उभर कर आयीं,
ना चुप रहने वाली थी वो लड़की,
आज क्यों इतना ख़ामोश नजर आई।
दिन ढला रात्रि प्रहर हैं आयी,
चेहरे की उदासी ना हट पाई,
जैसे उसकी खुशी गुम सी गयी,
छोड़ उसे अपने दर्द के सहारे।
क़सूर क्या इस मासूम का,
दोस्तों को ये बात समझ ना आइ,
क्या थी उसके दिल की कसक,
जाने क्यों आज वो मायूस नज़र आई।
रितु बदले इस उम्मीद पर,
होगी क्या उदासी उसकी अब दूर,
ना समझ ना पाया कभी उसका मन,
उसकी ख़ुशी है अपनाना उसके दिल की कही।
कुणाल कुमार
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