अनजाने बन कुछ ख़ास,
दिल के क़रीब आ जाते हैं,
पास आते तो है वो अपना बन,
पर साथ निभाने के डर से छोड़ चले जाते है।
शायद उनकी समझदारी हैं ये,
क़रीब हुए भी तो दिल में ख़ुदगर्ज़ी की सोच लिए,
हमने तो चाहा था उन्हें अपना समझ कर,
पर उन्होंने ठुकराया मुझे अपने ख़ुशी के लिए।
चलो अच्छा हुआ विश्वास टूटा,
सच्चाई की परख नहीं कर पाया मैं,
पर विश्वास टूटते टूटते मैं टूट गया,
पर ना छूट पाया दिल से किया गया प्यार तुम्हें।
कुणाल कुमार