शायद मैंने सोचा ना था,
निश्वर्थता हैं प्यार की परीक्षा,
प्यार करता हूँ मैं अपने दिलों जान से,
पर जीवन की परीक्षा दे रहा यहाँ अकेले।
खुद को समेट लिया खुद में,
अरमान को सुला लोरी सुना अहसास का,
भूल बैठा कैसे काटना हैं आगे की मंजिल,
बस काट रहा हूँ दिन लिए ख़्वाब आपकी अपने दिल।
चाहत थी बस आपके प्यार की,
मेरी हर साँसे आपकी क़र्ज़दार थी,
आपके साथ मैंने अपनी सुबह और शाम देखी,
पर आपने मेरे ख़्वाबों को कर दी अनदेखी।
कुणाल कुमार