हरे काँच की चूड़ियाँ,
लाया था जो मैं तेरे लिए,
अपने दिल की सारी ख़ुशियाँ,
लिख दिया सिर्फ़ तेरे लिए,
सोचा था अपना बनाऊँगा,
दिल में थी प्यार की उम्मीद,
पर क्या पता मुझे तेरी नियत का,
ना ली तुम मुझसे ना ही छोड़ दी उसे,
मैं ख़्वाबों में लूटता चला गया,
देखने को तेरी हाथों में हरी हरी चूरियाँ,
शायद हक़ीक़त है और भी निष्ठुर,
छोड़ गयी तुम मेरी दी गयी हरी हरी चूरियाँ।
कुणाल कुमार
Insta: @madhu.kosh
Telegram: https://t.me/madhukosh
Website: https://madhukosh.com