अपने पथ अडिग वीर्य,
चल रहा निर्भीक पाने को लक्ष,
करोड़ों के भीड़ में अकेला लड़ता बढ़,
नहीं खोता धैर्य जब तक उसे मिले ना उसका लक्ष।
ये हैं जीवन पाने के पहले का संघर्ष,
जो चलता रहे निरंतर जीवन भर,
पर धैर्य ना अपना खोने देना,
क्योंकि पाकर लक्ष तुम्हें देना है एक नवीन अर्थ।
संघर्ष से जीवन हैं,
संघर्ष बिना क्या जीवन हैं,
ना पाने के ग़म से डरकर ना बैठ,
बढ़कर कोशिश कर लक्ष पा और हौसला ना गवा।
कुणाल कुमार
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Great poem and well penned the fact of life.
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Thanks
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